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शीतला सप्तमी कब आती है? क्यों मनाई जाती है ?

: शीतला सप्तमी कब आती है? क्यों मनाई जाती है ?

लेखक - घेवरचन्द आर्य पाली

भारत एक विविध पर्वों का देश है। जहां ऋतु परिवर्तन पर अलग-अलग पर्व मनाये जाते हैं । ये सभी पर्व भारतीय सनातन तिथियों पर आधारित होते हैं जो हमारी सनातन परम्परा के आधार स्तंभ है। दुनिया के किसी भी देश में ऐसे पर्व नहीं मनाए जाते, क्योंकि उन सभी देशों की संस्कृति दो हजार से 1400 वर्ष पुरानी है। जबकि भारतीय संस्कृति लाखों वर्ष पूर्व की हैं इसलिए हमें अपनी संस्कृति और परम्पराओं पर गर्व है। ये पर्व सभी देशवासियों के लिए अनिवार्य है क्योंकि पर्व किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय से महत्व नहीं रखते।

चैत्र पुर्णिमा को रंगों का त्योहार होलिकोत्सव नवसस्येष्टि पर्व मनाया जाता है। उसके सात दिन बाद प्रचण्ड गर्मी का आक्रमण होता है। यह गर्मी देश के सभी नागरिकों पर पड़ती है। उन गर्मी से राहत प्राप्त करने और बचाव के लिए ही यह शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है।

चैत्र कृष्ण सप्तमी और अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला यह पर्व इस बार शीतला सप्तमी 31 मार्च या 01 अप्रैल 2024 मनाया जाएगा। वहीं शीतला अष्टमी तिथि पर ठंडक की देवी शीतला का पूजन 01 और 02 अप्रैल 2024 को किया जाएगा।

गर्मी के दो रोग प्रसिद्ध है ओरी और चेचक जिसका सर्वाधिक प्रकोप बच्चों पर होता है । ये रोग किसी जाति धर्म या मजहब को देखकर नहीं आते, इसका प्रकोप सभी देशवासियों पर होता है। इसलिए इस दिन घर की महिलाएं बच्चों की सलामती के लिए श्रद्धा एवं पूर्ण विश्वास के साथ ठंडक की देवी शीतला को ठंडे भोजन की सामग्री अर्पित करती है एवं परिवार जन भी वही ठंडा भोजन करते हैं ।

सनातन काल की मान्यता के अनुसार इस पर्व में शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन भी एक दिन पहले ही ऐसा भोजन बनाया जाता है जो गर्मी में भी दो दिन खराब न हो उस भोजन को बोलचाल की भाषा में बस्योडा कहते हैं । जिसमें पुड़ी, दही, चावल, अमचूर की सब्जी, पंचकूटा (केर सांगरी गुन्दा कुमटीयां और अमचूर) की सब्जी, दहीबड़ा, आलू की सुखी सब्जी के अलावा गर्मी में ठंडक देने वाले फल पपीता, अंगुर और पेय के लिए लस्सी, छाछ, ठंडाई आदि का प्रयोग करते हैं। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलता जो लोग गर्म पानी से स्नान करते हैं वे भी इस दिन से ठंडे पानी से स्नान आरम्भ करते हैं।

देवी शीतला कहती हैं जो लोग इस प्रकार का भोजन करते हैं उस पर मेरी कृपा बनी रहती है। वे लोग गर्मी जन्य रोगों से सुरक्षित रहते हैं। आप भी इस प्रकार ठंडे पानी से नहाने और ठंडक देने वाले भोजन की दिनचर्या आरम्भ करके मेरी कृपा प्राप्त करके निरोग रह सकते हैं। शीतला सप्तमी का पर्व वस्तुत गर्मी जन्य रोगों से बचाव की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है।

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